शनिवार, 6 सितंबर 2008

आरक्षण

जब से देश में आया ये आरक्षण
इस देश का भक्षक बन गया ये आरक्षण
पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण
दिख रहे हैं देश विभाजन के लक्षण
पहले थे सिर्फ हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख और ईसाई
कहते थे हम सब जिनको भाई भाई
आरक्षण से अब ये कहावतें बदल गईं
चार नही चालीस जातियां बन गईं
सीमाएं जातियों से विभाजित हो गईं
नेताओं की भी सीटें आरक्षित हो गईं
जातियों के दम पें जीत सुनिश्चित हो गई

नेता फेंक रहे हैं ये कैसी कैसी गोटियां
आरिक्षितों के मुंह में दे रहे हैं बोटियां
आबाद कर दी इनकी की पीढियों की पीढ़ियां
बुद्धिजीवियों पर लगा रहे हैं कसौटियां
और फाड़ रहे हैं इनकी लंगोटियां
दुनिया में जाना जाने वाला सोने की चिड़िया
बरबाद कर दी इसकी पीढ़ियों की पीढ़ियां
पहले सुना था सिर्फ रेल और बस में आरक्षण
आजकल पैदा होते ही सुनिश्चित है आरक्षण
इंजनीयरिंग और डॉक्टरी में आरक्षण

राजनीति और उच्च शिक्षा में आरक्षण
नौकरी और पदोन्नति में भी आरक्षण
यहां वहां सब जगह मिलता है आरक्षण
नहीं तो केवल जीने मरने में आरक्षण
नेताओं को नहीं दिया गया ऐसा प्रशिक्षण
नहीं तो ये दे दें जीने मरने में भी आरक्षण

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

ये भारत रत्न आपको मिला है कि नाम है?? :)

बहुत उम्दा प्रस्तुति..आपका स्वागत है.

नियमित लिखें. शुभकामनाऐं.


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